
यदि रेलवे घाटे में जा रही है तो उसको कौन खरीद रहा है और यदि फायदे में है तो इसको क्यों बेच रहे हैं
Kotatimes
Updated 5 years ago

KOTATIMES SEPTEMBER 15, 2020। रेलवे के निजीकरण के विरोध में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन एवं वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाई यूनियन द्वारा 14 सितंबर से 19 सितंबर तक मनाऐ जा रहे हैं जन आंदोलन कार्यक्रम के तहत मंगलवार को कोटा वैगन रिपेयर शाॅप वर्कशाॅप शाखा के गेट पर द्वार सभा का आयोजन किया गया। जिसमें यूनियन के महामंत्री ने संबोधित करते हुये कहा कि रेलवे का निजीकरण किसी कीमत पर नहीं होने देगें।
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यदि रेलवे घाटे में जा रही है तो उसको कौन खरीद रहा है और यदि फायदे में है तो इसको क्यों बेच रहे हैं। इस बात को आम आदमी को जानना जरूरी है, क्योंकि केंद्र सरकार बिना किसी उचित तर्क के रेलवे के उपक्रमों, गाड़ियों एवं स्टेशनों को प्राइवेट ठेकेदारों एउद्योगपतियों,निजी कंपनियों के हवाले करती जा रही है। सरकार की मंशा निश्चित रूप से रेल उद्योग को फायदा पहुंचाने की नहीं है बल्कि इन उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की है। सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के बारे में जोरदार नारेबाजी करते हुए द्वार सभा का आयोजन किया। इस अवसर पर यूनियन के कोषाध्यक्ष इरशाद खान ने संबोधित करते हुये कहा कि रेलवे के निजीकरण होने से रेल कर्मचारियों को भारी तकलीफ होने वाली है लेकिन आम जनता की परेशानियों का भी कोई ठिकाना नहीं है। अब जरूरी है समाज के सभी वर्ग केंद्र सरकार की नीतियों को समझे और आम आदमी की जीवन रेखा कही जाने वाली भारतीय रेल को निजी करण होने से बचाने के लिए जन आंदोलन में सहयोग करें।
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