KOTATIMES SEPTEMBER 27, 2020। बाघ मित्रों ने कहा है कि मुकुंदरा में एमटी-4 को स्वस्थ होने की संभावना खत्म होने से उपचार के लिए कोटा बाॅयलोजिकल पार्क में लाने से अनेक सवाल खड़े हुए है,जिनका जवाब सरकार को देना चाहिए। पूर्व में बाघ एमटी-1 का भी पता नहीं चला,बाघिन के शावक का भी कोई सुराग नहीं लगा इस सबसे हाड़ौती के पर्यटन विकास को धक्का लगा है।
-हाड़ौती के पर्यटन विकास को लगा धक्का
- बाघ मित्र वन मंत्री एवं एनटीसीए को लिखेंगे पत्र
वन मंत्री को भी मुकंदरा का दौरा कर स्थिति की समीक्षा कर समाधान का प्रयास करना चाहिए। बाघ मित्र संयोजक बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि श्री कौशिक गायत्री परिवार बोरखेड़ा आश्रम पर बैठक भी आयोजित की गई जिसमें पिछले दिनों जुलाई से ही बाघों के खत्म होने का सिलसिला शुरू हो गया था जिस पर नियंत्राण नहीं हुआ।
अधिकारियों के भरोसे मुकुंदरा को छोड़ा जाना खतरनाक साबित हुआ। जन प्रतिनधियों की चिंताऐं भी हवा में उड़ा दी गई। बाघ परियोजना की शुरूआत से ही स्थानीय भावना की उपेक्षा की गई। गांवों के विस्थापन को गंभीरता से नहीं लिया गया। केवल बाड़े में बंद कर बाघों का विकास का सपना धराशाही हो गया। पर्याप्त निगरानी के अभाव में बाघ बाहर निकल गए। एनक्लोजर की दीवारें टूट गंई और अधिकारियों को पता नहीं चला। थर्मल कैमरे दिखावटी साबित हुऐ।
डाॅ अनिल शर्मा ने कहा कि मुकुंदरा के अधिकारी वन्यजीव विशेषज्ञों की सेवाऐं लेने में भी राजनीति कर रहे है। तैनात डाक्टर की सेवाऐं नहीं ली जाती और जो नहीं है उसे बुलाने के प्रयास किए जाते है। वन विशेषज्ञों ने कहा कि रिजर्व की सुरक्षा व्यवस्था, रेलवे लाईन पर वन्यजीवों की मौत, गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया आदि पर बेबाक विचार व्यक्त किए है। नेचर प्रेमाटर एएच जैदी ने कहा कि अब जीवन में मुकुंदरा में दहाड़ सुनाई नहीं देगी ऐसा लगता है।
पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक विट्ठल सनाढ्य ने गांवो के पुनर्वास तथा बाघों की पैदल माॅनीटरिंग का सुझाव दिया। सरकार को राजनीतिक इच्छा शक्ति प्रकट करना चाहिए अन्यथा मुकुंदरा में बाघों के पुनर्वास की योजना अधर में लटकी रहेगी। यज्ञ दत्त हाड़ा ने कहा कि सरकार को रचानात्मक सहयोग देने के लिए बाघ मित्र तैयार है,लेकिन अधिकरी वर्ग पूर्वाग्रह पाले बैठे है। यही आदम ग्रामीणों के प्रति भी अपना रखी है जिससे मुकुंदरा की परिधि के गांव वाले भी बाघ परियोजना के अधिकारियों की संवेदहीनता से पीड़ित है। डाॅ गोपाल धाकड़ ने कहा कि केंद्रीय बाघ प्राधिकरण को भी लिखा जाए।राजनीतिक नेतृत्व को पत्र लिख कर अवगत कराया जाए।विनीत महोबिया ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी इस पर गंभीरता दिखानी चाहिए। उन्हीं का प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया। अर्चना राजावत ने कहा कि अधिकारियों से बाघों के संरक्षण पर दो टूक बात की जाए।राजावत ने बाघों की मृत्यू के कारणों को सार्वजनिक करने की मांग की। रविवार को बाघ मित्रों ने आन लाईन और आफ लाईन बैठकों में अनेकों सुझाव सांझा किए जिनमें राज्य के वन मंत्री एंव केंद्र के वन मंत्री से कोटा आकर स्थिति की समीक्षा करने का निवेदन किया जाएगा।