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मुकुंदरा टाईगर रिजर्व में गौ वंश को आवारा बता कर टाईगर का भोजन बनाने की निंदा

Kotatimes

Updated 5 years ago

KOTATIMES OCTOBER 06, 2020। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के जिला पशु कल्याण अधिकारी  एवं गौ वंश संरक्षण समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष खेमराज यादव ने राजस्थान सरकार के वन विभाग द्वारा मुकुंदरा टाईगर रिजर्व में गौ वंश को आवारा बता कर टाईगर का भोजन बनाने की निंदा करते हुए गौ वंश को वहां से बाहर निकालने की मांग की है।
 
 
खेमराज यादव ने जिला कलेक्टर उज्ज्वल राठौड़ एवं मुख्य वन संरक्षक मुकुंदरा एसआर यादव को दिए गए ज्ञापन में कहा कि बाघ एक हिंसक प्राणि है, जंगल में उसे अन्य प्रकार के जीवों पर भोजन के लिए निर्भर रहना होता है। बाघों को भोजन का प्रबंध जंगल की व्यवस्था से होना चाहिए। गौवंश घरेलू तथा पालतू जानवर है जो कृषि प्रधान देश में कृषि कार्यो में सहायक के रूप में होता है। गौ को माता और नंदी को भी धर्म में महत्वपूर्ण माना गया है। गौसंरक्षण की कई योजनाऐं सरकार चलातीं है और गौ शालाऐं और नंदी शालाऐं भी है। उनको अनुदान भी दिया जाता है।
यह कैसा विरोधाभास है कि शहरों में तथा कस्बों से आवारा करार दे की गौवंश को मुकुंदरा के जंगल में हिंसक प्राणियों के भक्षण के लिए बंद कर रखा है। यदि सरकार ने गौवंश को वहां से हटा कर किसी गौ शाला को नहीं दिया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। यादव ने बताया कि गायों के साथ लोगों की धार्मिक आस्था भी जुड़ी हुई है, मुकुंदरा में गौवंश को बंद करना हिंदुओं की भावनाओं का अपमान करना है।
 
 
शहर में मवेशियों की समस्या है तो उसके लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार है। राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में गौ वंश को आवारा बना दिया जाता है। क्यों नहीं गौ पालकों को  जैविक खाद और गौ मूत्र से कीट नाशक बनाने की योजना बना कर गौ शालाओं का संचालन किया जाए जहां पर गौ वंश की रक्षा भी हो और कृषि उत्पादन में उनका सदुपयोग हो।
यादव ने बताया कि हमने पर्यावरण विशेषज्ञों से भी बात की है। उनका भी मत है कि घरेलू जानवरों को टाईगर रिजर्व में नहीं छोड़ा जाना चाहिए इससे संक्रमण का भी खतरा होता है। जंगल में टाईगरों की अकाल मौत में पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि टाईगर मौत संक्रमण से हो रही है। सरकार को गौ शालाओं के संचालन के नियमों का सरलीकरण करना चाहिए जिससे कि गौ वंश का रख रखाव कृषि अर्थ व्यवस्था में लाभ दायक हो सके। पीपुल्स  फाॅर एनीमल एवं बाघ मित्र के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय ने भी कहा है कि मुकुंदरा में प्रबंधन व्यवस्था का नमूना पहले ही दिख रहा है कि पर्यटन विकास के नाम पर हल्ला मचाया जाता है जबकि दो साल में नाम मात्र का भी पर्यटन विकास नहीं हुआ और जो टाईगर लाए गए थे वे भी मारे गए।पालतू पशुओं को जंगल में रखना वन्यजीवों के हितों के विरूद्ध है। एनटीसीए को भी इसके लिए पत्र भेजा जाएगा।