KOTATIMES JULY 28, 2020। पुरुषार्थ भवन में आयोजित एक बैठक में कोटा के वेयरहाउस मालिकों ने भाग लिया कोटा में 5 वर्षों से बंद हो रहे उद्योगों के चलते कई उद्यमियों ने अपनी रोजी रोटी के लिए उद्योगों को वेयर हाउस के रूप में परिवर्तन कर दिया। जिससे बंद पड़े उद्योगों को कुछ राहत मिली।
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अब बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते यह व्यवसाय भी भारी परेशानियों के दौर से गुजर रहा है उसके चलते सभी सदस्यो ने इस व्यवसाय को गति देने एवं समस्या रहित बनाने के लिए कोटा वेयर हाउस ओनर्स एसोसिएशन का गठन किया। जिसमें सलाहकार बोर्ड का चयन किया गया जिसमें कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी, दीएसएसआई एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष गोविंद राम मित्तल ,हाड़ोती कोटा स्टोन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष गणपत लाल शर्मा को सर्व सम्मति से सलाहकार बोर्ड का निदेशक बनाया।
उसके बाद सर्वसम्मति से अध्यक्ष देवकीनंदन बिरला महासचिव विकास जोशी को बनाया गया ।वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोविंद फतेहपुरिया कोषाध्यक्ष विपिन जैन को बनाया संस्था के सभी पदाधिकारियों को सभी सदस्यों ने बधाई दी।
डिस्काॅम की खामियों का भार घरेलू उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है राज्य में बिजली की चोरी व ट्रांसमिशन लाॅस कम नहीं होने से बढ़ रही है दरें
राजस्थान में बिजली चोरी व ट्रांसमिशन लाॅस (संधारण हानि) का सारा भार आम उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। राज्य में पहले एनर्जी लाॅस 26 प्रतिशत तक था, जिसे कम करके 21 प्रतिशत तक किया गया है। जबकि निर्धारित मापदंडों के तहत यह हानि 10 प्रतिशत तक होनी चाहिये। डिस्काॅम द्वारा बिजली चोरी व लाॅस को नहीं रोक पाने से उपभोक्ताओं के बिजली बिल दोगुना हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान में राजस्थान विद्युत वितरण निगम का ट्रांसमिशन लाॅस 3.5 प्रतिशत है, जिससे उपभोक्ताओं पर 1रू. प्रति यूनिट अतिरिक्त भार पडता है। राज्य में डिस्काॅम कंपनियां विभिन्न स्त्रोत्रों से बिजली औसतन 3.40 रू प्रति यूनिट में खरीदती है, जिसमें 1 रूपया ट्रांसमिशन लाॅस का भी जोड़ दिया जाये तो कुल 4.40 रू प्रति यूनिट बिजली की खरीद होती है, जिसके बदले में कंपनियां घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली 7.20 से 8 रू. प्रति यूनिट की दर से बेच रही है।उपभोक्ता संगठनों का कहना है कि राज्य में डिस्काॅम कंपनियां निजी व सरकारी बिजलीघरों से औसत 3.40 रूपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदती हंै। इसके बाद बिजली चोरी रोकने में नाकाम रही ये कंपनियां ट्रांसमिशन लाॅस अधिक दर्शाकर घरेलू उपभोक्ताओं पर आर्थिक भार डाल देती हैं। 3.40 रूपये यूनिट में खरीदी हुई बिजली 7 से 10 रू प्रति यूनिट की दर से बेची जा रही हैं। बिजली के बिलों में दो से तीन गुना दाम वसूलना जनता के साथ विश्वासघात है।विशेषज्ञों ने बताया कि फरवरी,2020 तक राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम जो सभी बिजलीघरों से निरंतर बिजली उत्पादन कर रहा है, उसका डिस्काॅम कंपनियों पर 2115 करोड़ रूपये बकाया है। डिस्काॅम कंपनियां बिजली चोरी रोकने और लाॅस कम करने मे अन्य प्रदेशों की तुलना में पूरी तरह विफल रही है। यही कारण है कि डिस्काॅम का कर्ज बढकर 30 हजार करोड़ रुपए. तक पहुंच गया है। औद्योगिक क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, कियोस्क तथा कई बस्तियों में वर्षों से भ्रष्टाचार के कारण बिजली चोरी पर रोक नहीं लग पा रही है। जिसका सारा बोझ समय पर बिल जमा करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है। राज्य में फरवरी माह से बिजली की दरों में 11 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है।हाॅस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक लोढा ने बताया कि शहर में 5-6 मंजिला हाॅस्टल्स द्वारा 50 से 70 एचपी के थ्री फेज विद्युत कनेक्शन लेने पर उन्हें पैनल ट्रांसफार्मर भी लगाने पडे़। पिछले 5 माह से हाॅस्टल्स बंद पडे़ हैं लेकिन केईडीएल द्वारा पैनल के नाम पर 5 से 7 हजार रुपए बिजली के बिलों में अतिरिक्त वसूल किये जा रहे हैं, जबकि प्रतिमाह बिजली खर्च नगण्य है। कोराना अवधि में इस जबरन वसूली पर तुरंत रोक लगाई जाये।
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December 4, 2017 at 3:12 pm
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