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कोटा जेके लोन अस्पताल एक बार फिर सुर्ख़ियों में, 24 घन्टे में 9 बच्चों की मौत

Kotatimes

Updated 4 years ago

KOTATIMES December 9, 2020। कोटा के प्रसिद्द अस्पताल जेके लोन अस्पताल में लापरवाही का बड़ा मंजर सामने आया है पिछले दो सालो से इस अस्पताल में मौतों को आकडा कोटा के निवासियों की नींद उड़ा देने वाले है-

साल  भर्ती शिशु  मौत
2018 16436 1005
2019 16915 963

 

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जेके लोन अस्पताल में 24 घंटे में 9 नवजातों  की मौत के मामले में फिर से सरकारी अधिकारीयों और खासकर चिकित्सा महकमे की नींद उड़ाकर रख दी- इससे पहले भी कई बार घटनाये होने के बाद भी हालात सुधरने के नाम नहीं ले रहे घटना होने के एक सप्ताह तक सब अस्पताल की सुविधाए बढाने की घोषणा करके चले जाते है- 

मृत नवजातो में से तीन गंभीर बीमारी से ग्रसित थे जिन्हें रेफर किया गया था, वही तीन शिशु जन्मजात गंभीर बीमारी से ग्रसित थे जबकि उनमे से तीन शिशुओं के ब्रॉड डेड होने की जानकारी मिली है । 

 

 

शुरू हुआ आरोप प्रत्यारोप का दौर- 


चिकित्सा व्यवस्था को लेकर सरकार अति संवेदनशील

मंत्री शांति धारीवाल ने कहा है कि प्रदेश सरकार चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर अति संवेदनशील है, जेके लोन अस्पताल सहित तमाम अस्पतालों में चिकित्सीय सुविधाओं में लगातार इजाफा किया जा रहा है वही यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को भी चेतावनी देते हुए कहा है कि इलाज को लेकर लापरवाही की शिकायत मिलने पर  कड़ी कार्यवाही की जाएगी चिकित्सक और अन्य स्टाफ अपनी ड्यूटी को जिम्मेदारी के साथ निभाए। 

लेकिन जे के लोन अस्पताल में 24 घंटे में 9 नवजातों  की मौत ने एक बार फिर से प्रदेश सरकार की नाकामयाबी को दर्शा दिया है -



शिशुओं की मृत्यु के बाद अधिकारियों की बैठक-लोकसभा अध्यक्ष
 
लोकसभा अध्यक्ष ने जिला कलक्टर उज्जवल राठौड़, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर विजय सरदाना व जेके लोन अस्पताल के अधिकारियों के साथ समीक्षा में बताया की कोटा में jk loan hospital में आस पास के सभी जिलों के साथ अन्य जिलों एवं मध्यप्रदेश से बडी संख्या में शिशु रैफर होकर आते है। व्यवस्थाओं में सुधार के साथ संसाधनों में विस्तार की आवश्यकता है। 
 
2019 में इसी तरह की घटना पर सीएसआर मदद से 50 लाख रुपए के आवश्यक उपकरण दिलाए गए थे। विधायकों ने भी अपने विधायक कोष से 50 लाख रुपए की राशि आवश्यक उपकरण क्रय करने के लिए प्रदान की थी, अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं, समाजसेवियों ने अस्पताल को आवश्यकता अनुसार उपकरण व अन्य संसाधन प्रदान किए थे। उनका सदुपयोग किया जावे तथा व्यवस्थाओं में सुधार कर बेहतर सेवाएं प्रदान करें।
 
 
परिजनों से सम्पर्क में रहे स्टाफ
उन्होंने निर्देश दिए कि वार्ड में वार्मर्स की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए। एक ही वार्मर में 2 से 3 बच्चे रखे जा रहे है, जिससे संक्रमण फैलने का डर रहता है। स्टाफ अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को ध्यान में रखते हुए मरीज अथवा प्रसूता की स्थिति से उनको अवगत कराते रहे। परिजन यदि चिकित्सकीय सहायता के लिए बुलाएं तो तत्काल मरीज को अटेंड किया जाए। इससे स्टाफ व परिजनों में भी विश्वास बढ़ेगा।
बच्चों की मौत पर राजनीति और शहर को बदनाम कर रही है भाजपा 
                                              
भारतीय जनता पार्टी के नेता और जनप्रतिनिधि कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत पर राजनीति कर रहे हैं। भाजपा नेता और जनप्रतिनिधि कोटा की छवि को बदनाम करने में लगे हुए हैं।आज से 1 साल पहले भी भाजपा के नेताओं,विधायकों और सांसदों और पूर्व मंत्रियों ने कोटा की छवि को खराब करने के भरसक प्रयास किए थे।
 
तिवारी ने कहा कि गत वर्ष जब जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत हुई थी तब भाजपा के केंद्रीय तथा राज्य स्तरीय नेताओं ने इसे जमकर मुद्दा बनाया था। 2-2 पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौड़ और कालीचरण सर्राफ अस्पताल का दौरा करने आए थे। भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेताओं ने भी अस्पताल का दौरा करके सक्रियता दिखाई थी।- इस तरह के कथन से ऐसा लग रहा है जैसे राज्य सरकार ने अस्पताल के लिए कुछ नहीं किया 
 
केंद्र स्तर की प्रशासनिक टीमों के अलावा भाजपा के सांसद दल ने भी कोटा आकर निरीक्षण किया था और रिपोर्ट देने की बात करते हुए कोटा की चिकित्सा व्यवस्था के लिए बेहतर संसाधन उपलब्ध कराने की बात कही थी। परंतु आज 1 साल गुजर जाने के बावजूद भाजपा नेताओं की इस सक्रियता का कोटा के अस्पतालों को कोई फायदा नहीं हुआ है। केंद्र सरकार से एक भी रुपया कोटा के अस्पतालों को प्राप्त नहीं हुआ है।ऐसे में स्पष्ट है कि भाजपा के नेता,सांसद, विधायक और पूर्व मंत्री ने बच्चों की मौत पर सिर्फ राजनीतिक रोटी सेकी है।-इस तरह के कथन से ऐसा प्रतीत हो रहा है की दोषारोपण किस पर किया जाये यह असमंजस में है 
 
अब एक बार फिर भाजपा के नेता और जनप्रतिनिधि बच्चों की मौत पर राजनीति करके कोटा को बदनाम करने के प्रयास कर रहे हैं।तिवारी ने कहा कि भाजपा सरकार के समय जब भाजपा के चिकित्सा मंत्री कोटा के अस्पतालों का दौरा करते थे तब यहां की व्यवस्थाओं पर शर्मिंदगी प्रकट करके चले जाते थे।पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौर ने चिकित्सा मंत्री रहते हुए खुद कहा था कि वह कोटा की अस्पताल व्यवस्था को लेकर शर्मिंदा है।लेकिन हमारी कांग्रेस सरकार और चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा चिकित्सीय व्यवस्थाओं को लेकर पूरी तरीके से संवेदनशील हैं। इस तरह के कथन से ऐसा प्रतीत हो रहा है की राज्य सरकार के कार्य से संतुष्ट है -
 
गत वर्ष जब बच्चों की मौत का मामला सामने आया तो राज्य सरकार और चिकित्सा मंत्री ने संवेदनशीलता दिखाई और कोटा की चिकित्सा व्यवस्था को स्थाई रूप से मजबूती देने के कार्य शुरू किए। इसी का परिणाम है कि कोटा में जेकेलोन और एमबीएस अस्पताल की बहुमंजिला इमारत का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। इस तरह के कथन से ऐसा प्रतीत हो रहा है की वह सरकार के कार्यो की 
 
यह पूरा कोटा शहर जानता है कि कोटा के अस्पतालों में उपभोक्ता दवाइयों में करोड़ों की धांधली का व्यापार कोटा का एक ही परिवार कर रहा है।इस मामले की जांच के लिए भी हम राज्य सरकार को पत्र लिखकर जांच की मांग करेंगे।कोटा की चिकित्सा व्यवस्था को लेकर भाजपा के जनप्रतिनिधि,पूर्व मंत्री और नेता तुरंत नकारात्मक भावनाओं के साथ सक्रिय हो जाते हैं।
इस तरह के कथन से ऐसा प्रतीत हो रहा है की मुद्दे को भटकाने की कोशिश की जा रही है -
 
अगर इन नेताओं में वास्तविकता में इंसानियत होती तो वे गुजरात के अहमदाबाद,राजकोट और उत्तर प्रदेश में बच्चों की मौत पर भी इतनी ही संवेदनशीलता दिखाते जितना कि वे कोटा के मसले पर दिखाते हैं।तिवारी ने बताया कि गत वर्ष जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के बाद राजस्थान सरकार ने कोटा की चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर करने के क्या-क्या कार्य किए हैं।