राजकीय महाविद्यालय में वनस्पति शास्त्र विभाग के तत्वावधान में स्ट्रेटेजिज फोर एनवायरमेन्ट एण्ड बायोडायवरसिटी कंजरवेशन विषय पर इंटरनेशनल ई-कॉनफ्रेंस का आयोजन किया गया।
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प्राचार्य एवं संरक्षक डॉ. जयन्त कुमार विजयवर्गीय ने कहा कि जैव-विविधता प्रजातियों के बीच और उनकी पारितंत्रों की विविधता को समाहित करती है तथा इसका मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है, इसके बिना पृथ्वी पर मानव जीवन असंभव है।
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वनस्पति शास्त्र विभागाध्यक्ष व संयोजक डॉ. अंजू कपूर ने कहा कि ई-कॉनफ्रेंस का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के प्रभावों को समझना है। प्राकृतिक संसाधनों के अवक्षय एवं प्रदूषण के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव एवं ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही है इसके प्रति जागरूकता आवश्यक है।
नेपाल काठमाण्डू त्रिभुवन विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्री कॉन्फ्रेंस के प्रथम सत्र के प्रथम वक्ता प्रो. देबा बहादुर खाडका ने कहा कि जैव-विविधता की कमी के कारण प्रदूषण, अवक्षय, कटाव बढ़ने के कारण पारिस्थितिकी पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने इसकी महत्ता बताते हुए कहा कि मानव जीवन के लिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यक है।
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कॉन्फ्रेंस के द्वितीय वक्ता डॉ. वर्ला एन्ड्रयू विन्कोर, आइ.एम.ओ स्टेट विश्वविद्यालय, आइ.एम.ओ स्टेट नाइजीरिया ने गोइंग ग्रीन एज ए टूल फोर बायोडायवरसिटी कंन्जरवेशन विषय के अन्तर्गत बताया कि विश्व में जैव-विविधता का निरन्तर हास हो रहा है, अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी है और अनेक संकट ग्रस्त हैं। जैव-विविधता का बने रहना पारिस्थतिक तंत्रों की क्रियाशीलता एवं पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक है तथा इसके संरक्षण में वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।
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ई-कॉन्फ्रेंस में विशेष आमंत्रित डॉ. संजय भार्गव, ए.डी., कॉलेज शिक्षा ने पर्यावरण संरक्षण एवं जैव-विविधता के बारे में बताते हुए कहा कि हमारा यह ग्रह सभी प्राकृतिक संपदाओं से समृद्ध है, लेकिन मानव के द्वारा इनका आवश्यकता से अधिक दोहन किया जा रहा है, जिसके कारण प्राकृतिक संसाधन क्षीण होते जा रहे हैं तथा जिससे कई समस्याओं का जन्म हो रहा है। जिससे संरक्षण एवं संवर्द्धन की आवश्यकता बढ़ गई है।
द्वितीय सत्र के प्रथम वक्ता डॉ. प्रशान्त सिंह, बी.एच.यू., वाराणसी, उत्तरप्रदेश ने ग्रीन वेक्सीनेशन ए र्स्माट प्लांट हैल्थ केयर फॉर ह्यूमन वैलफेयर विषय पर विस्तृता से बताते हुए कहा कि सतत् विकास लक्ष्य (एस.डी.जी.) के वैश्विक लक्ष्यों में पर्यावरण की रक्षा प्रमुख लक्ष्य है साथ ही उन्होंने कृषि जैव-विविधता, प्राइमिंग ऑफ प्लांट इम्यूनिटी, डिफेंस प्राइमिंग के बारे में विस्तृत जानकारी दीं।
द्वितीय वक्ता डॉ. अवधेश कुमार श्रीवास्तव, दुर्ग, छत्तीसगढ़ ने रोल ऑफ बॉयोपोटेन्षियल प्लांट ग्रोथ प्रोमोटिंग राइजोबैक्टिरिया (पी.जी.पी.आर.) स्ट्रेंस इन एग्रोफील्ड्स विषय के अन्तर्गत मिट्टी की उर्वरता को कैसे बनाए रखें पर अपने शोध कार्य के द्वारा बताया।
डॉ. रघुराज परिहार विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में अपनी सहभागिता निभाते हुये महाविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा पर्यावरण संरक्षण एवं जागरूकता के लिए आगे भी इस तरह के कार्यक्रम करने के लिये प्रेरित किया।
इस अवसर पर ई- कॉन्फ्रेंस का संचालन डॉ. सुलेखा जोशी, डॉ. वन्दना शर्मा एवं डॉ. नीरजा श्रीवास्तव समन्वयक ने सेमिनार की महत्ता पर प्रकाश डाला एवं आयोजन सचिव डॉ. मीरा भटनागर व सह आयोजक सचिव डॉ. हेमलता गुप्ता ने किया।